Udai Shankar ka Hindi Sahitya
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आज क्या कविता बनाऊँ, क्या लिखूँ ?
त्रासदी को, मौत को, संहार को ,
क्या भाव दूँ , कैसे कहूँ ?
हूँ व्यथित, बस रुदन करना चाहता हूँ ,
सोंचता हूँ उस भयावह वीभत्सता की ,
कल्पना ही क्यों करूँ ?
क्यों करूँ साहित्य सृजन ,क्यों कोई रचना रचूँ ?
मन कलप कर सोंचता है ,
क्या करूँ जो दुख सभी का बाँट लूँ ?
हाँ कवि हूँ , भाव जन के जानता हूँ ,
साहित्य, जन के भाव का दर्पण बने, यह मानता हूँ ।
है व्यथित हर व्यक्ति,
चारो तरफ फैली हुई एक वेदना है ।
ये भाव जो मन झकझोरते हैं ,
यह नहीं साहित्य, यह संवेदना है ।
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