Udai Shankar ka Hindi Sahitya
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जनम दिन जनम दिन ,
नाचो बच्चों ताक धिना धिन ।
वाह सजावट ! झालर ऐसे लटक रही है ,
जैसे बरसे पानी रुक-रुक रिम-झिम रिम-झिम ।
केक बर्थड़े पिंक कलर का ,
चमके उसपर चेरी टिम टिम ।
बड़ी हो गई बिटिया अब तो ,
पड़ी लगानी कैंडिल गिन-गिन ।
एक बार में फूँक मार कर ,
बुझा दिये सब कैंडिल झिल-मिल ।
‘गोलू’ ‘रीमा’ ‘अंकुर’ ‘टिनमिन’ ,
कहें , मुबारक उसे जनमदिन ।
ऐसा ही एक सपना देखा ,
बिटिया के डैडी ने एक दिन ।
उदय शंकर श्रीवास्तव
कटरा बाजार , गोंडा (उ.प्र.)
9716027886
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