Udai Shankar ka Hindi Sahitya
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सर्दियों के आते ही ,
आदमियों के बीच अपना अस्तित्व बचाये ,
उस पेड़ की आत्मा कांप उठी ।
अब उसकी वे साखें ,
जो पूरे तपिश के दौरान ,
सुखद बयार देती रहीं ,
चिलचिलाती धूप से बचाया आँगन ,
काट दी जायेंगी बेरहमी से ।
छुब्ध अनचाहे मन से ही सही ,
मगर आने वाली तपिश तक ,
वह फिर उगा लेगा ,
घने पत्तों से भरी अपनी साखें ,
उन्हें सुखद बयार और छाँव देने को ,
जिन्होंने उसे कंकाल बना दिया था ,
धूप सेंकने की खातिर ।
(उदय शंकर श्रीवास्तव)
कटरा बाजार , गोण्डा
उ.प्र. 271 506
मो: 9716027886
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