Menu
blogid : 15132 postid : 717950

होली के रंगों में मानवता मिलायेंगे

Udai Shankar ka Hindi Sahitya
Udai Shankar ka Hindi Sahitya
  • 38 Posts
  • 48 Comments

रंग वही हैं गुलाल वही है फागुन की मस्त बयार वही है ,
होली में लेकिन वो खुमार नहीं है ।
रंगों के मायनें अब दिल को डराते हैं ,
खून निर्दोषों का जो लाल रंग सा बहाते हैं ।
हरा रंग गालों पर जब वो लगाती है ,
दुर्दशा पेड़ों की अनायास याद आती है ।
अब भी कुपोषण से चेहरे क्यों पीले हैं ,
तंत्र है सुस्त पड़ा बस भाषण रोबीले हैं ।
रंग सभी अपने मायने फिर पायेंगे ,
फागुन के गीत हमें फिर से लुभायेंगे ।
हम इस होली में प्रेम गीत गायेंगे ,
होली के रंगों में मानवता मिलायेंगे ।
(उदय शंकर श्रीवास्तव)
कटरा बाजार , गोंडा
उ.प्र. 271503
मो-9716027886

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply