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मैं ही हूँ माँ

Udai Shankar ka Hindi Sahitya
Udai Shankar ka Hindi Sahitya
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कभी कभी चित्र दर चित्र अतीत में घुसता हूँ …
कौवे का , माऊँ का डर दिखा कर ,
कौर खिलाते हुये माँ की छवि तो स्पस्ट है I
मगर मैं तो माँ की सारी यादें संजोना चाहता हूँ I
माँ का दूध पीने की याद धुंधली सी याद आ रही है I
न जाने क्यों उस क्षण को पकड़ना चाहता हूँ …
जब पहली दफा माँ को महसूस किया था ,
धुंधला ही सही मगर याद आता है …
कठौते में नहलाया जाना ,
काजल और उबटन लगाया जाना ,
उससे पहले का कुछ याद नहीं आ रहा I
मैं महसूस करना चाहता हूँ वह पल …
जब दाई ने पकड़ाया था माँ को ,
जब निढाल हुई माँ ने समेट लिया था कलेजे में ,
जब माँ ने पहली धार डाली थी मेरे मुह में ,
रुई का फाहा डुबो कर चुसाया था बकरी का दूध भी I
अपना वह समय तो याद आने से रहा …
मगर महसूस कर लेता हूँ अपने को अपनी माँ के पास ,
जब देखता हूँ किसी नवजात को उसकी माँ के पास I
मैं विचलित हो जाता हूँ अपनी नाभि को देख कर …
महसूस करने लगता हूँ उन पलों को ,
जब मेरी नाल सोख रही थी उनके तन से मेरे लिए जीवन I
अनायास ही लगता है कि …
मैं ही तो हूँ वह माँ … मुझमें ही तो माँ समाई हुई है I
माँ को महसूस करने की तड़प फिर शांत हो जाती है I
(उदय शंकर श्रीवास्तव)
कटरा बाजार , गोंडा
उ. प्र. 271503
8126832288

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