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गंगा मईया की उलाहना

Udai Shankar ka Hindi Sahitya
Udai Shankar ka Hindi Sahitya
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बंद करो अब महिमामंडन ,
पतितपावनी माँ का सम्बोधन ,
मुझको एक नदी रहने दो ,
अहर्निशम कल कल बहने दो ।
माँ गंगा कहकर ठगते हो ,
माँ को ही मैला करते हो ,
मेरा जल अमृत मत कहना ,
सीख लिया अब दूषित रहना ।
गाथा बिसारो मेरे अवतरण की ,
बात करो अब बस मेरे छरण की ।
गंगाजल क्या तुम रोज पी पाओगे ,
या मोक्ष के बहाने बस मृतकों को पिलाओगे ।
अपना बखान अब मुझको नहीं भाता है ,
माँ का सम्बोधन अब जैसे चिढ़ाता है ।
सरस्वती मईया धरती से विलुप्त हुईं ,
अच्छा है, घोर कष्टों से वे मुक्त हुईं ।
तिरस्कृत हो, कष्टों को कब तक सहूँगी मैं ,
रख लो जटा में वापस, शिव से कहूँगी मैं ।
(उदय शंकर श्रीवास्तव)
कटरा बाजार
गोंडा, उ.प्र.
271503
मो 8126832288

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